Does someone want to read my poems too?? 😅 🙈
बेचैनियां कुछ कहती हैं तुमसे
कभी नब्ज़ पकड़ के जाँची है इनकी
देखा है कि कितनी तेज़ चल रही हैं
एक फैसले से पहले जो सोने नही देती तुम्हे
किसी इम्तेहां का कितना डर होता है
कभी जो एक बात रह जाती है अनकही
तो कितना परेशान कर देती हैं तुम्हें
जो एक बदलाव के इशारे से तंग कर देती है
खुशी में भी एक संकोच ला दे
उस बेचैनी को कभी परखा है तुमने?
ना जाने किस ओर ले जाना चाहती हैं तुम्हे
शायद कुछ बता रही हैं तुमको
कहीं हाँथ तुम्हारा थाम के ले जा रही हैं तुमको।
~मुसाफ़िर
@musafir wah ji wah, dil mein jo baat thi, woh aap zubaan par itni khoobsurti se le aye... Speaks deeply to me... esp. in light of what is happening around..., pls continue to share...