Does someone want to read my poems too?? 😅 🙈
बेचैनियां कुछ कहती हैं तुमसे
कभी नब्ज़ पकड़ के जाँची है इनकी
देखा है कि कितनी तेज़ चल रही हैं
एक फैसले से पहले जो सोने नही देती तुम्हे
किसी इम्तेहां का कितना डर होता है
कभी जो एक बात रह जाती है अनकही
तो कितना परेशान कर देती हैं तुम्हें
जो एक बदलाव के इशारे से तंग कर देती है
खुशी में भी एक संकोच ला दे
उस बेचैनी को कभी परखा है तुमने?
ना जाने किस ओर ले जाना चाहती हैं तुम्हे
शायद कुछ बता रही हैं तुमको
कहीं हाँथ तुम्हारा थाम के ले जा रही हैं तुमको।
~मुसाफ़िर
@Vishsai thank you Vishal 😊
@KayKap ne aaj itni taareef kar di hai pata nahi sachh hai ki unhone bhi kavita likh di ek